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Saturday, February 19, 2022

60 और 70 के दशक की सुपरस्टार और खूबसूरत अभिनेत्री - मुमताज़


60 और 70 के दशक की  सुपरस्टार और खूबसूरत अभिनेत्री - मुमताज़

हिंदी सिने जगत में मुमताज के अलावा शायद ही कोई ऐसी अभिनेत्री होगी जिसने अपने फिल्मों की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में कर, स्टंट फिल्मों में काम करने के बाद सुपरस्टार अभिनेत्री का दर्जा प्राप्त किया हो।

जुलाई 1947 में मुंबई में पैदा हुई मुमताज़ बचपन से ही फिल्मों में काम करना चाहतीं थीं और उनकी इसी चाहत के कारण उन्होंने बहुत कम समय में बहुत कुछ पा लिया। 11 साल की उम्र में वे बाल कलाकार के रूप में काम करने लगीं थीं, 16 साल की उम्र में वे हिट अभिनेत्री बन गईं, 22 वें वर्ष में वे सुपरस्टार बन गईं और 26वें साल में उन्होंने युगांडा के बिजनेसमैन मयूर बाधवानी से शादी कर फ़िल्मी दुनिया को छोड़ दिया। इन दिनों वे लंदन में रह रहीं हैं।

मुमताज़ की हीरोइन के रूप में पहली फ़िल्म 'फौलाद' (1963) थी। इसमें दारा सिंह हीरो थे। यह फ़िल्म सुपर हिट रही और इसके बाद मुमताज़ की दारा सिंह के साथ जोड़ी बन गई। इन दोनों ने 16 फिल्मों में एक साथ काम किया। इसमें से ज्यादातर स्टंट फिल्में थी। चूंकि उस समय रोमांटिक फिल्मों का समय था और मुमताज़ स्टंट फिल्में कर रहीं थीं इस कारण उन्हें बी ग्रेड फिल्मों की हीरोइन माना जाने लगा था। उनके साथ कोई भी हीरो काम नहीं करना चाहता था। पर मुमताज़ ने हिम्मत नहीं हारी उनका वक्त बदला 1965 में आई फ़िल्म 'मेरे सनम' से। इस फ़िल्म में उनके काम की बहुत तारीफ़ हुई। इसके बाद उन्हें फ़िल्म मिली 'राम और श्याम'।  जिसमें वे अभिनय सम्राट दिलीप कुमार के साथ रोमांस करते नज़र आईं। इस फ़िल्म ने उन्हें एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में पूर्णतः स्थापित कर दिया। 
इसके बाद वे उस समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ फ़िल्म 'दो रास्ते' (1969) मे आई जो सुपर हिट हुई । उन्होंने राजेश खन्ना के साथ एक के बाद एक आठ ब्लॉकबस्टर फिल्मों दीं। ये फिल्में थीं:-  बंधन, सच्चा झूठा, दुश्मन, रोटी, आपकी कसम, अपना देश और प्रेम कहानी। ऐसा कहते है कि राजेश खन्ना जब डांस में गलती कर देते थे तब मुमताज़ अपने शानदार डांस से उस गलती को छुपा देती थीं। इन दोनों के ऊपर एक से बढ़कर एक गाने फिल्माए गए हैं। जिसमें से एक "जय जय शिव शंकर...'' तो अमर गाना हो गया है। 

राजेश खन्ना के साथ हिट फिल्में देने के बाद जो हीरो  मुमताज के साथ काम नहीं करना चाहते थे वे भी मुमताज़ के साथ काम करने के लिए लालायित होने लगे थे। शम्मी कपूर उनमें से एक थे। उन्होंने मुमताज़ से अपनी सुपर हिट फ़िल्म "चोर मचाये शोर" में काम करने की गुजारिश की थी।

जब मुमताज एक बड़ी एक्ट्रेस बन गई तब कई एक्टर्स के साथ उनके अफेयर की भी चर्चा हुई पर अफेयर अपने मुकाम तक नहीं पहुंचे। इसकी वजह यह थी कि मुमताज फिल्मों से पैसा कमाने और अपने परिवार की जिम्मेदारी पूरे करने में बहुत डूबी हुई थीं। फिल्म "बूंद जो बन गए मोती" बनने के दौरान उनकी मां का निधन हो गया था, इसके बाद परिवार के खर्चे का बोझ उन्हीं पर था। वे सुबह 4:00 बजे उठकर रात 9:00 बजे तक काम करती थीं।  एक साक्षात्कार में मुमताज ने कहा था, "मैं लकी थी कि मेरे साथी कलाकार मुझसे शादी करना चाहते थे।  हाँ, एक आकर्षण था, लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ी क्योंकि मेरी मेरे परिवार के लिए जिम्मेदारी ज्यादा थी और मेरे पास अफेयर्स के लिए टाइम नहीं था।" 

एक रोचक घटना उस समय की है जब वे फ़िल्म "बंधे हाथ" में अमिताभ बच्चन के साथ काम कर रही थी। वे उस समय पूर्ण रूप से सुपर स्टार बन चुकी थीं पर  अमिताभ बच्चन सुपर स्टार नहीं बने थे। उनकी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म "जंजीर" निर्माणाधीन थी। फ़िल्म "बंधे हाथ" की  शूटिंग के समय मुमताज़  मर्सिडीज कार से आती थीं  और अमिताभ बच्चन एक खटारा फियट कार से आते थे।  अमिताभ को मुमताज की मर्सिडीज कार बहुत अच्छी लगती थी। एक दिन शूटिंग के दौरान जब वे अपने दोस्तों से कह रहे थे कि देखना एक दिन मेरे पास भी ऐसी मर्सिडीज कार होगी तब यह बात मुमताज़ ने सुन ली। दूसरे दिन जब अमिताभ शूटिंग के बाद  स्टूडियो के पार्किंग एरिया में आये तो उन्हें अपनी फियट कार नहीं दिखी। वहाँ मौजूद गॉर्ड ने बतलाया कि मुमताज आपकी कार ले गई है और अपनी मर्सिडीज कार की चाबी आपको देने के लिए दे गई है। उस चाबी के साथ एक पत्र भी था  जिसमें मुमताज़ ने लिखा था कि जब आप जब तक चाहें तब तक इस कार को अपने पास रख सकते हैं। इतना बड़ा दिल था मुमताज़ का।
इस महान अभिनेत्री का मेरे द्वारा बनाया गया पोर्ट्रेट मैं उनके शानदार अभिनय को समर्पित करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे इस अभिनेत्री को अच्छा स्वास्थ्य और  दीर्घायु प्रदान करें।

Thursday, February 17, 2022

सुहिणी सोच की पिकनिक में भाषा, संस्कार एवं संगठन के विस्तार पर हुई चर्चा

*प्रेस नोट,*
*सुहिणी सोच की पिकनिक में मौज मस्ती  धमाल के साथ भाषा, संस्कार एवं संगठन के विस्तार पर हुई चर्चा*

सुहिणी सोच संस्था की ओर से  सदस्यों के लिए गंगरेल डैम में पिकनिक का आयोजन किया गया।निर्धारित समय 10:00 बजे शक्ति धाम से गंगरेल डैम के लिए बस रवाना हुई सदस्यों ने वहां पर गेम्स, बलून व सिंधी गानों पर डांस करके खूब मौज मस्ती व धमाल किया एवं बोटिंग का भी मजा लिया।
संस्था की संस्थापक मनीषा तारवानी ने बताया कि पिकनिक का मुख्य उद्देश्य संस्था में नए सदस्यों का आपस में मेलजोल ,परिचय व एकता बढ़ाना है।इसके साथ ही पिकनिक में सिंधी भाषा को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम सिंधी भाषा में हुए ,बच्चों के संस्कार के विषय में चर्चा हुई तथा सभी माताओं से निवेदन किया गया क़ि अपने बच्चों से अपनी मातृभाषा सिंधी में बात करे ।
उल्लेखनीय बात यह है कि सुहिणी सोच की सफलता देखकर समाज की मांग पर सुहिणी  सोच संस्था की पूरे प्रदेश में शाखाएं खोली जाएगी जिसमें पहली शाखा जगदलपुर में खोलने कीं माँग है जगदलपुर के सदस्यों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें संस्था की कार्यशैली एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला जाएगा ।
पिकनिक में फ़ाउंडर मनीषा तारवानी अध्यक्ष काजल लालवानी, नवनिर्वाचित अध्यक्ष विद्या गंगवानी, सचिव करिश्मा कमलानी, पल्लवी चिमनानी, जूही दरयानी, संगीता पुरी, नेहा पंजवानी 
आरती कोडवानी रेखा पंजवानी कृतिका बजाज तमन्ना जसवानी एकता जसवानी
सृष्टि मिरघानी कुसुम नथानी प्रियंका मोटवानी रितु भारानी ज्योति कमलानी
वंशिका माखीजा वीरा बुलचंदानी सुप्रिया तेजवानी जिया तेजवानी किरण रोहरा
गुंजन सोनी  डिंपल पिंकी के अलावा कई सदस्य मौजूद थे।

प्रेस विज्ञप्ति सुहिणी सोच की मीडिया प्रभारी ज्योति बुधवानी के द्वारा जारी की गई।

*ज्योति बुधवानी*
93039 09300
मीडिया प्रभारी

Friday, February 11, 2022

शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये

खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है। 
हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है,  उसका आनंद लीजिये🙏 बाल रंगने है तो रंगिये,  वज़न कम रखना है तो रखिये, 
मनचाहे कपड़े पहनने है तो पहने, बच्चों की तरह खिलखिलाइये, 
अच्छा सोचिये, अच्छा माहौल रखिये, 
शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये। 

कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती, 
कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,
कोई तेल बाल नही उगाता, 
कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। 
चाहे वो प्रॉक्टर गैम्बल हो या पतंजलि .....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं। 

ये सब कुदरती होता है। 
उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है। 
पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।

ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। 
किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती ! 

कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,
कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,
कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं 
या आपके होंठों की shape perfect नही हैं....

फिर भी हम सुंदर हैं, 
अपनी सुंदरता को पहचानिए।

दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।

हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते है तो वो मासूमियत खो देते हैं 
...और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।

मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।

पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।
आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।

सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,
यह खाओ, वो मत खाओ, ठंडा खाओ, गर्म पीओ, कपाल भाती करो,  
सवेरे नीम्बू पीओ, रात को दूध पीओ, ज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो 
दाहिने से सोइये , बांए से उठिए, हरी सब्जी खाओ, 
दाल में प्रोटीन है, दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।

अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा 
ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!
आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।

ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। 
स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।

अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,
कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।

हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, 
हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। 

*भोजन का संबंध मन से होता है* 
*और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है।*
*मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।*
थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,
टहलने जाइये, लाइट कसरत करिये, व्यस्त रहिये,  खुश रहिये,
शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये

Thursday, February 10, 2022

सुहिणी सोच संस्था में 2022 के लिए अध्यक्ष विद्या गंगवानी व सचिव करिश्मा कमलानी*


*सुहिणी सोच संस्था में 2022 के लिए अध्यक्ष विद्या गंगवानी व सचिव करिश्मा कमलानी*

महिलाओं की संस्था  सुहिणी सोच का चुनाव 2022 के लिए आज शक्ति धाम तेलीबांधा में संपन्न हुआ।
संस्था की संस्थापक मनीषा तारवानी ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष एवं सचिव के नाम की घोषणा की। बैठक में संस्था के सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से विद्या गंगवानी पति विजय गंगवानी को अध्यक्ष व करिश्मा कमलानी पति संतोष कमलानी को सचिव चुना गया। उपस्थित सदस्यों द्वारा नवनिर्वाचित अध्यक्ष एवं सचिव का फूल माला पहनाकर सम्मान किया गया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य नए अध्यक्ष एवं सचिव का चुनाव था।
विशेष अतिथि के रुप में संस्था के मेंटर एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चेतन तारवानी जी उपस्थित थे।
उलेखनिय है कि विद्या गंगवानी ने अर्थशास्त्र में एमएकिया  है, इंदिरा गांधी महाविद्यालय शहडोल में अध्यक्ष थी तथा पूर्व में वह न्यूज़ रीडर एवं कंप्यूटर टीचर थी एवं विराट नारी मंच में सचिव  व जेसीआई रायपुर मेट्रो की चेयर पर्सन रह चुकी है। वर्तमान में वह टीशा एजेंसी के प्रोपराइटर है तथा करिश्मा कमलानी सुहिणी सोच की ग्रिटर थी अनेक प्रोग्राम में कार्यक्रम निर्देश रह चुकी है एवं अवार्डस  से सम्मानित भी हुई है 
बैठक में नीलिमा आहुजा, रेखा पंजवानी, संगीता पुरी, दीक्षा बुधवानी, ज्योति बुधवानी, पूनम बजाज, आरती मयानी, आरती कोडवानी, खुशी सोनी, महिमा लाहौरी, जूही दरयानी पल्लवी चिमनानी, सोनिया गंगवानी, लक्ष्मी बजाज चंचलानी, सरिता आहूजा, ज्योति कमलानी, सोनिया इसरानी, कुसुम नथानी, सुमन पाहुजा, एवं गीता गुरनानी उपस्थित थे।
धन्यवाद ज्ञापन पूर्व सचिव माही बुलानी ने दिया।

प्रेस विज्ञप्ति सुहिणी सोच की मीडिया प्रभारी ज्योति बुधवानी के द्वारा जारी की गई।

*ज्योति बुधवानी*
93039 09300
मीडिया प्रभारी