इनकम टैक्स बार एवं सीए ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष सीए चेतन तारवानी ने बताया किं जब कोई जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी माल बेचता है तो वह अपने ग्राहक को जीएसटी बिल देता है बिल देना कब जरूरी होता है उससे संबंधित कुछ नियम-
यदि एक व्यापारी दिन भर में चिल्हर में ₹200 से कम का माल जीएसटी में किसी अनरजिस्टर्ड ग्राहक को बेचता हो यदि 20 बार भी बेचता है तो वह उस चिल्हर मूल्य का दिन भर का एक ही बिल बना सकता है जैसे किसी ग्राहक को 90 रुपये का माल बेचा दूसरे ग्राहक को 130 रुपये का माल बेचा तीसरे ग्राहक को 190 रुपये का माल बेचा चौथे ग्राहक को 80 रुपये का माल बेचा तो इस बिक्री का एक बिल 490 का बना सकता है
लेकिन यदि व्यापारी ने किसी व्यक्ति को 200 या उससे ऊपर का माल बेचा हो तो उसे उस ग्राहक का अलग से बिल बनाना अनिवार्य होगा चाहे वह जीएसटी में रजिस्टर्ड ग्राहक हो या अनरजिस्टर्ड
यदि व्यापारी ने किसी ग्राहक को 50,000 से ज्यादा का माल बेचा है और वह व्यक्ति जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है तो बिल में व्यक्ति का नाम, पता,राज्य का नाम एवं कोड और माल कहां डिलीवर होगा यह सभी बिल में डालना अनिवार्य होगा।
यदि व्यापारी ढाई लाख से ज्यादा का माल इंटरस्टेट (ढाई लाख सिर्फ माल की लागत होनी चाहिए जिसमें टैक्स शामिल नहीं होगा )किसी व्यक्ति को बेचताहै और यदि वह ग्राहक जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है तो उसे जीएसटी रिटर्न में भी अलग से दर्शाना जरूरी होगा।
जीएसटी बिल में अनिवार्य रूप से भरे जाने वाले कॉलम....
बिल नंबर, बिल की दिनांक, ग्राहक का नाम , बिलिंग का स्थान
,जीएसटी नंबर यदि ग्राहक रजिस्टर्ड हो तो एचएसएन कोड, माल का विवरण, कर योग्य राशि,
जीएसटी टैक्स के रेट,
क्या जीएसटी रिवर्स चार्ज के आधार पर देय है एवं व्यापारी का हस्ताक्षर
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