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Wednesday, October 13, 2021

हारना सीखो झुकना सीखो

छोटी सी बात को लेकर आपस में ठीक से बात न करना या बात बंद कर देना अच्छे से अच्छे रिश्ते को कमज़ोर कर देता है। जल्दबाज़ी में प्रतिक्रिया कर देना ऐसे मामले में एक और गलती होती है। 

हर आदमी अपनी सोच, अपनी मान्यता, अपनी धारणा, अपनी प्राथमिकता और अपने भावात्मक जगत के लिए आग्रह रखता है और उसके अंदर इनकी रक्षा करने की भावना प्रतिरोध क्षमता के रूप में मौजूद रहती है जो तुम भांप नहीं पाते, समझ नहीं पाते या फिर परवाह नहीं करते। 

जैसे ही तुम उसके विरुद्ध कोई बात कहते या करते हो उसकी वही प्रतिरोधी क्षमता अपने बचाव के तर्कों के साथ मैदान में कूद जाती है। तुमको लगता है कि अरे यार मैंने ऐसा क्या कह दिया जो इतना हाइपर होकर सामने वाला ओवर रियेक्ट कर रहा है। 

हमे ये समझना होगा कि जिसे हम एक साधारण सी बात समझ रहे हैं वो सामने वाले के नज़रिए से एक बड़ी बात हो सकती है। दो लोगों का नज़रिया एक दूसरे से अलग हो सकता है। हो सकता है मैं खुद उसे अपनी बात ठीक से समझा नहीं पाया या वो समझना नहीं चाहता। 

और ऐसे तर्क वितर्क के दौरान अक्सर हम एक दूसरे पर व्यंग्य करते हैं, उलाहना देते हैं, अपनी बहस का दायरा बढ़ाते हुए उन बातों को भी शामिल कर लेते हैं जिनका इस वाद विवाद से कोई संबंध ही नहीं था। "कहीं की बात कहीं जोड़ देती है, मेरी हिम्मत को वो ऐसे तोड़ देती है।" 

अपने अपने पूर्वाग्रहों की गुप्ती से हम सामने वाले की भावनाओं को छलनी कर देते हैं। ऊपर से समझदारी का मलहम लगाने का नाटक करते हैं पर तंज कस कस के संबंध के कस बल ढीले कर देते हैं। कोई जीतता नहीं सब हारते हैं। 

एक एक दिन जीवन का बेशकीमती है। ज़्यादा अटको मत, उलझो मत। समझौता कर लो। कुछ नहीं होता। मैं बता रहा हूँ जीवन के सुंदर पल हाथ से निकल जाएंगे। अहम, गुस्से, बदला चुकाने की भावना को थूक दो। 

कोई नहीं जानता जिससे तुम नाराज़ हो कर मुंह फुला कर बैठे हो वो कब बिछड़ जाए। बिछड़ गया तो बहुत बहुत मलाल रह जाएगा कि बेवजह एक अच्छे रिश्ते को बिगाड़ लिया। दुनिया में बहुत सी चीजें कभी वापस नहीं होती, गया हुआ वक़्त और।बिगड़ चुका रिश्ता उनमे अहम है। 

जिसे ज़रा सा सॉरी बोल कर तुम फिर से रिश्ते में मिठास घोल सकते हो उसे उम्र भर के लिए क्यों एक ज़ख्म पालने को विवश कर रहे हो। ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं। मत अड़ो, खास कर उनके सामने जो सच मे तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण हैं, जो तुम्हारे अभिन्न भाग हैं जो तुम्हारे लिए ज़रूरी हैं। हर वाद को जीतने और अपने मन की बात पूरी करवाने की ज़िद छोड़ दो। 

हारना सीखो, झुकना सीखो। रिश्तों को छोड़ना नहीं थामना सीखो। ज़रा शांत बैठ कर आज सोचो कौन कौन तुमसे नाराज़ है नाखुश है और क्यों है, उसमे तुम्हारी जितनी भूमिका है उसे साफ कर दो, माफी मांग के रिश्ते को बड़ा कर लो। थोड़ा सा अहम थोड़ी सी ज़िद छोड़ना सीख लो। बस फिर जीवन आसान है। 

@ मन्यु आत्रेय

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