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Friday, October 8, 2021

चाय

निठल्ला बैठा मै चाय की दुकान में कुल्हड़ के चाय का मजा ले रहा था,तभी मुझे इक शानदार घटना दिखा, एक रिक्शावाला सुबह सुबह सवारी की तलाश में आधे नींद में सीट की गद्दी में हाथ के सहारे अर्द्ध निंद्रा का आनंद ले रहा था तभी अचानक एक 50 साल के मुच्छो पर ताव देते बाबू जी रिक्शेवाले के सामने प्रकट हुए ।
बाबू जी अपना पता बता कर बोले चलोगे क्या, अब रिक्शेवाले का नींद गायब था आंखो में रोशनी थी कि चलो सुबह सुबह एक ग्राहक मिला!
बोला बैठिए बाबू जी २५ रुपया लगेगा , बाबू जी तन के बोले नहीं २० रुपए दूंगा चलना है तो चलो ।
खैर बड़ी देर तक दोनों की मोलाई चली आखिर में रिक्शावाला तैयार हुआ चलने से पहले बाबू जी बोले चलो यार एक चाय पी लेते है, रिक्शावाला चाय वाले को एक चाय बोला, फिर बाबू जी तिरछी और हल्की आवाज में बोले एक नहीं दो , रिक्शावाला बोला मेरे पास पैसे नहीं आप पिलाओ तो पी लूंगा ।
उसके बाद जो बात बाबू जी ने बोला वो मेरा रोम रोम जीत लिया,। 
बाबूजी तन कर बोले तबसे तुमसे ५ रुपए की मोलाई इसलिए तो कर रहे थे क्योंकि मेरे पास कुल ३० रुपए ही बचे हैं और अकेले हम चाय पीते नहीं हैं।
रिक्शावाला कुछ केह ना सका लेकिन चाय पीते वक़्त उसका चेहरा बता रहा था कि वो नुकसान नहीं सह रहा था,और इस प्रेम के लिए शायद वो थोड़ा नुकसान सह भी लेता ❤️

मै बैठा बैठा सिर्फ ये सोच रहा था कि आखिर नुकसान हुआ तो हुआ किसका??

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