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Sunday, December 5, 2021

फियरलेस नाडिया

भारतीय फिल्मी दुनिया में एक दौर वो भी था, जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना गलत माना जाता था। उस समय अपनों के खिलाफ जाकर अपनी मेहनत से सबकी बोलती बंद कर देना कोई आसान बात नहीं थीं। लेकिन 50-60 के दशक की अदाकारा 'फ्लोरेंस एजेकेल' यानि 'नादिरा' ने ऐसा कर दिखाया था। वे अपने रौबदार अंदाज़ की वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री में ‘फीयरलैस नादिरा’ के नाम से मशहूर हुई।

नादिरा का जन्म 5 दिसंबर, 1932 को इराक के बगदाद शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। लेकिन समय की नियति उनको भारत ले आई। उस समय महबूब खान देश की पहली रंगीन फिल्म ‘आन’ (1952) बना रहे थे। फिल्म की एक हीरोइन ‘निम्मी’ मिल गई थी और दूसरी के लिए नरगिस या मधुबाला के नाम पर विचार किया जा रहा था, लेकिन बात नहीं बनीं। तब बगदाद से एक शादी में शामिल होने के लिए भारत में आई 16-17 साल की नादिरा को महबूब खान ने अपनी फिल्म की हीरोइन बनाया।

नादिरा की मां को अभिनय के क्षेत्र में काम पसंद नहीं था। उनका मानना था कि फिल्मों में काम करना बुरा होता है और अब नादिरा ना तो कभी सिनेगांग (यहूदी पूजा स्थल) जा सकेंगी और ना ही कोई यहूदी उनसे शादी करने के लिए तैयार होगा। अपनी मां के इस बर्ताव पर नादिरा का कहना था कि फिलहाल तो हमारी बुनियादी जरूरत शाम के खाने का इंतजाम करना है। उनका मानना था, हो सकता है कि फिल्मों में काम करना बुरा है, लेकिन भूखा मरना उससे भी ज्यादा बुरा होगा।

महबूब खान ने ही फ्लोरेंस एजेकेल को एक नया नाम नादिरा दिया था। उन्होंने 1200 रुपए महीने की तनख्वाह पर अपनी फिल्म ‘आन’ के लिए नादिरा को साइन किया था। इस फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ कमाई की। यह पहली फिल्म थी, जो 17 भाषाओं के सब टाइटल्स के साथ 28 देशों में रिलीज हुई थी। इस फिल्म का प्रीमियर लंदन में आयोजित किया गया था। भले ही शुरूआत में नादिरा के परिवार वाले भी उनके खिलाफ रहे, लेकिन इस फिल्म ने उन्हें रातों-रात बॉलीवुड की नई स्टार बना दिया था।

नादिरा को राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ (1956) में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका सिगरेट पकड़ने के अंदाज काफी मशहूर हुआ। यह फिल्म भी ब्लॉकबस्टर साबित हुई, लेकिन इसने नादिरा के कॅरियर की दिशा ही बदल दी। दरअसल, फिल्म में वो नेगेटिव किरदार में थी, जिसके कारण उनके पास हीरोइन के प्रस्ताव आने ही बंद हो गए थे। कई महीनों उन्हें काम नहीं मिला, जिसके बाद वो खलनायिका की भूमिकाएं ही करने लगीं।

नादिरा ने उर्दू शायर नख्शाब से शादी की थी। ये शादी ज्यादा वक्त तक नहीं चली। इसके बाद नादिरा का नाम मोतीलाल राजवंश से भी जुड़ा था। आखिरी वक्त में उनका परिवार इज्रायल चला गया था और वह भारत में अकेली रह गईं। नादिरा को आखिरी बार शाहरुख खान की फिल्म जोश में देखा गया था।

9 फरवरी, 2006 अभिनेत्री नादिरा का निधन हो गया था। उसके बाद बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष पीएम रूंगटा ने उनकी वसीयत सार्वजनिक की थी, जिसमें लिखा था कि नादिरा ने यहूदी होने के बावजूद खुद को दफनाने के बजाय हिंदू रीति-रिवाजों से जला कर अंतिम संस्कार करने की इच्छा जताई है। यह मामला काफ़ी संवेदनशील था। लिहाजा यहूदियों की द शेपर्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सोलोमन एफ सोफर को स्वीकृति के लिए सार्वजनिक बयान जारी करना पड़ा था।

साभार : chaltapurza.com

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