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Tuesday, December 7, 2021

शशि कपूर

शशि कपूर. पृथ्वीराज कपूर के सुपुत्र. राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई.

शशि कपूर. नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड विनर. एक बार नहीं, तीन-तीन बार. दो-दो फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड, 1948 में पहली फ़िल्म में काम किया. तब उम्र सिर्फ़ 10 साल थी. चाइल्ड आर्टिस्ट. मूवी का नाम- आग. बड़े भाई, राजकपूर के बचपन का रोल किया था. राजकपूर ने ही इसे डायरेक्ट किया था. चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर कुल चार फ़िल्में कीं. फिर थिएटर में लग गए. वहां एक विदेशी लड़की से प्यार हुआ, जिसके पिता भी थिएटर आर्टिस्ट थे. लड़की के पिता का नाम जोफ़्री केंडल. थिएटर कंपनी सेक्सपियराना के मालिक. भारत भर में टूर करने वाली थिएटर कंपनी. लड़की का नाम, जेनिफ़र केंडल.

पृथ्वीराज कपूर ने शेक्सपियराना की टीम को कलकत्ता बुलाया था. अपने थिएटर का एक शो दिखवाने के लिए. इसी शो में पृथ्वीराज के सबसे छोटे बेटे शशि कपूर ने पर्दे से जेनिफर केंडल को पहली बार देखा, जो दर्शकों के बीच बैठी थीं.
प्यार हुआ. शादी हुई. तब शशि 20 साल के थे. इसी के चलते फ़िल्मों में आना हुआ. आप पूछेंगे कैसे तो शशि ने एक बार इंडिया टुडे को दिए एक टीवी इंटरव्यू में ख़ुद बताया-

तीन भाइयों में सिर्फ़ मैं ही था जो हर चीज़ को लेकर पूरी तरह निश्चित था. फिर चाहे वो प्यार हो, शादी हो या एक्टिंग. जब मैंने जेनिफ़र को देखा तो मैं सिर्फ़ 18 साल का था. मेरे माता-पिता ने कहा, ’हे भगवान! अपनी उम्र तो देखो.’ मैंने कहा, ’ठीक है. मैं इंतज़ार करूंगा’. मैंने 2 साल इंतज़ार किया. पेरेंट्स ने फिर पूछा, ‘क्या तुम अब भी उसके साथ शादी करना चाहते हो?’. मैंने फिर हां कहा.

मुझे फ़िल्मों में काम अपने परिवार के रसूख़ के चलते नहीं मिला. बल्कि मैं तो फ़िल्मों में आया, ताकि मेरे परिवार का गुज़ारा चल सके. 1959 में मेरा एक बेटा भी हो चुका था. 1960 तक मुझे महसूस होने लगा कि मुझे और पैसा कमाना चाहिए. मैं जब फ़िल्मों में आया तो स्टार बनने के वास्ते नहीं, सिर्फ़ ‘जॉब’ करना चाहता था. बस अपना काम करो, बेहतर एक्टिंग करो, और भूल जाओ. और मैंने थिएटर को अलविदा कहा. 1960 में पृथ्वी थिएटर बंद हो गया.

यूं फ़िल्मों में फिर से वापस आना हुआ. सुनील दत्त की डेब्यू फ़िल्म ‘पोस्ट बाक्स – 999’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया. भाई राज कपूर की फ़िल्में, ‘दूल्हा-दुल्हन’ और ‘श्रीमान सत्यवादी’ में भी बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया.

1961 में ‘धर्मपुत्र’ मूवी से मुख्य अभिनेता के तौर पर डेब्यू किया. कुल 116 फ़िल्मों कीं जिनमें 61 सोलो और 55 मल्टी स्टारर थीं.

‘इत्तेफ़ाक’ और ‘गुमनाम’ जैसी फ़िल्मों में काम कर चुकी नंदा, शशि की पसंदीदा अभिनेत्री थीं. नंदा को भी शशि बहुत पसंद थे, दोनों ने साथ में आठ फ़िल्में की. शशि, नंदा को अपनी मेंटॉर मानते थे. इनके करियर को संभालने में भी नंदा ने हेल्प की.

दरअसल शुरुआत में शशि की फ़िल्में नहीं चलीं. मीडिया में भी उनके करियर को लेकर ऐसी ख़बरें आने लगीं, गोया ये पृथ्वीराज की फ़ैमिली के लिए वो हों जो जितेंद्र की फ़ैमिली के लिए तुषार कपूर. अब एक्ट्रेसेज़ भी इनको अनलकी मनाने लगीं थी. इनके साथ कोई एक्ट्रेस काम करने को तैयार नहीं थी. लेकिन नंदा ने हां कर दी. ‘ना ना करते’ नहीं एक ही बार में. और आई मूवी, ‘जब-जब फूल खिले’. न सिर्फ़ मूवी हिट हुई, बल्कि गीत भी- ‘ना ना करते प्यार’, ‘परदेसियों से न अखियां मिलाना’, ‘ये समां, समां है ये प्यार का’, ‘यहां मैं अजनबी हूं’,…

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