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Thursday, November 18, 2021

मुकेश रफी का आखिरी गाना

किस गाने के बाद रफी और मुकेश की जोड़ी हमेशा के लिए टूट गई थी?

रफी साहब और मुकेश जी की दोस्ती की जब भी बातें होती हैं एक गाना मन मस्तिष्क में अचानक से कौंध जाता है, यह वही गाना है जिसकी चर्चा होते ही मुकेश जी और रफी साहब की दोस्ती के किस्से बरबस जुबां पर आ जाते हैं- "सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी" ।

यहां बता देना जरूरी है कि इस गाने की एक पंक्ति को लेकर काफी बवाल भी मचा था, हुआ यह था कि गाने के एक अंतरे में -… मुश्किल से काबू में आये लड़की हो या घोड़ी....वाली लाइन को लेकर फिल्म के निर्माता - निर्देशक और गीतकार को कई विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। 1977 में आई फिल्म- "धर्मवीर" के गानें फिल्म से पहले रिलीज किये गए , सारे गाने हिटभी रहे, पर इस एक गाने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया, खास तौर पर महिला संगठनों ने लड़की की तुलना घोड़ी से किए जाने को लेकर भारी विरोध किया, जाहिर सी बात है लड़की की तुलना एक घोड़ी से करना कहीं से भी उचित नहीं था, फलस्वरूप मामला इतना बढ़ गया कि विवश होकर गाने की उस पंक्ति में ही बदलाव करना पड़ा। गाने की रिकॉर्डिंग और शूटिंग भी दुबारा करनी पड़ी।

पहले गाने को इस तरह रिकॉर्ड किया गया था-

यह लड़की है या रेशम की डोर है, कितना गुस्सा है,कितनी मुंहजोर है

ढीला छोड़ ना देना हंस के रखना दोस्त लगाम कस के

अरे मुश्किल से काबू में आये लड़की हो या घोड़ी.....

बाद में- अरे मुश्किल से काबू मे आये थोड़ी ढील जो छोड़ी.. किया गया था.

अफसोस…, दोस्ती की बखान करने वाले इस गाने के रिकॉर्डिंग के कुछ ही दिन बाद मुकेश जी का अमेरिका में निधन हो गया और इसके साथ ही रफी और मुकेश जी की जोड़ी हमेशा के लिए टूट गई।

पर इस गीत के जरिए मुकेश और रफी की दोस्ती की दास्तान हमेशा जिंदा रहेगी।

#भुलेबिसरेनगमे

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