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Tuesday, November 30, 2021

पुष्प हंस पुरानी गायिका

पुष्पा हँस जी को उनकी जयंती पर विनम स्मरणांजलि।

आज भी रेडियो सिलोन के पुराने फिल्मों का संगीत के कार्यक्रम में पुष्पा हँस के गाये गीत प्रसारित होते रहते हैं ।
अपना देश(1949), शीश महल('50) , काले बादल ('51) में उन्होंने गीत भी गाये और अभिनय भी किया ।
वी शांताराम द्वारा निर्मित व निर्देशित फिल्म अपना देश ('49) की मुख्य अभिनेत्री रहीं ।
30 नवम्बर 1917 में फाजिल्का(पंजाब) में जन्मी पुष्पा हँस के पिता रतनलाल कपूर फौजदारी के नामी वकील थे । बचपन से पुष्पा हँस को गाने का बड़ा शौक था । गुनगुनाती रहती । पिता गाने के विरोधी चूंकि उस समय लड़की का गीत गाना अच्छा नहीं समझा जाता था ।किंतु नाना संगीत के जानकार व रुचि वाले थे उन्होंने अपने दामाद को पुष्पा हँस के संगीत शिक्षा हेतु कहा । लेकिन वे राजी न हुए ।
एक बार प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर फाजिल्का आये । पुष्पा के नाना उसे पंडितजी के पास ले गए । पंडितजी ने जब उसका गीत सुना तो मंत्रमुग्ध हो गए और संगीत की शिक्षा हेतु कहा । अब तो पिता को बात माननी ही पड़ी ।
फाजिल्का में हाई स्कूल शिक्षा प्राप्त कर उच्च शिक्षा के लिए लाहौर भेजा गया जो बड़ा शहर व केंद्र था । उच्च शिक्षा में संगीत विषय चुना । तेरह वर्ष कठिन परिश्रम किया । स्नातक डिग्री पाई । 
संगीत के प्रति समर्पित पुष्प हँस ने लाहौर रेडियो स्टेशन पर गायन प्रारम्भ किया । जहां  श्यामसुंदर, शमशाद बेगम जैसे जाने माने कलाकारों से परिचय हुआ ।
वो समय था जब लाहौर फ़िल्म निर्माण का बड़ा केंद्र था । आवाज़ टेस्ट करवाने स्टूडियो गयी वहीं जाने माने निर्माता,निर्देशक वी शांताराम भी थे । पुष्पा हँस गीत गा रही थी शांताराम उन्हें ध्यानपूर्वक सुन रहे थे, उसके गीत के समय हो रहे हावभाव पर भी नज़र थी । उसकी गायकी ,गायकी का अंदाज़, सुंदरता उन्हें खूब पसंद आया ।
वी शांताराम जी ने अपनी फिल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव रखा । सभ्रांत परिवार की लड़कियों का फिल्मों में काम अच्छा नहीं समझा जाता समाज में सो पुष्पा हँस ने विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया ।
किन्तु वी शांताराम जी ने अपने प्रयास न छोड़े । पहुंच गए पुष्पा हँस के पति हंसराज चोपड़ा के पास ,जो भारतीय सेना में कर्नल थे। उन्हें मनाया और आखिरकार उनकी फ़िल्म 'अपना देश' के लिए अनुबंधित कर लिया ।
अपना देश 1949 में प्रदर्शित हुई । फ़िल्म में उन्होंने अपने किरदार में काला चश्मा पहना और लोकप्रिय भी इसी नाम से हो गयी उस समय ।
सोहराब मोदी की शीश महल('50) में और काले बादल('51) में अभिनय किया व गीत भी गाये ।
1948 में विनोद की  पहली पंजाबी फ़िल्म चमन में गीत गाये जो अत्यंत लोकप्रिय हुए व जनता की प्रिय गायिका बनीं।
2000 से अधिक गीत गाये ।
पंजाब के रोमांटिक व लोकप्रिय गीतकार शिव कुमार बटालवी के गीतों को आवाज़ दी ।
दिल्ली आकर बस गयी । कई देशों में अपने गीतों के रंग बिखेरे जिनमें अमेरिका, कनाडा,इंग्लैंड व अन्य देश रहे ।
सुनील दत्त की संस्था अजंता आर्ट्स की टीम युद्ध के समय फौजी जवानों के मनोबल बढ़ाने सीमा पर जाती । पुष्पा हँस ने इसमें भी अपनी सेवायें प्रदान की  ।
पाक्षिक पत्रिका ईवज वीकली की मुख्य सम्पादिका रहीं । तेरह वर्ष कुशल सम्पादन किया ।
भारत सरकार ने वर्ष 2007 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया और इसी वर्ष पंजाबी भूषण अवार्ड व कल्पना चावला एक्सीलेन्स अवार्ड भी मिला ।
फ़िल्म शीश महल का गीत 'आदमी वो है जो मुसीबत से परेशान न हो' उनके श्रेष्ठ गीतों में है अलावा इसी फिल्म का 'तक़दीर बनाने वाले ने कैसी तक़दीर' भूले जमाने याद न कर और अन्य गीत खूब चले ।
फ़िल्म अपना देश के गीत 'मेरी खुशियों के सवेरे की कभी शाम न हो' ,'बेदर्द जमाना क्या जाने हम कैसे हैं किस हाल में हैं','तुझे दिल की कसम' और मिर्ज़ा ग़ालिब की दो ग़ज़ल इसी फिल्म में गायीं 'कोई उम्मीद बर नहीं आती', 'दिल नादां तुझे हुआ क्या है' ।
फ़िल्म काले बादल में श्याम सुंदर के संगीत निर्देशन में दो गीत 'हम वफ़ा करते रहे वो बेवफा होते रहे' और तू माने या न माने तू जाने या ना जाने' आज भी सुनाई देते हैं पुरानी फिल्मों के संगीत में ।
खनकती व जादुई आवाज़ की इस मालकिन ने रोमांटिक, ग़म खुशी, सूफ़ी, सभी तरह के गीत हिंदी व पंजाबी में गाये ।
लंबी बीमारी पश्चात इस महान गायिका का निधन 94 वर्ष की आयु में 9 दिसम्बर 2011 में हो गया।

लेखक ~ Vimal Joshi

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