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Thursday, November 18, 2021

तलत किशोर

कहा जाता है कि पचास के दशक में जब भी संगीत की कोई महफिल होती थी और जिसमें संगीत की दुनिया के दिग्गज जैसे मोहम्मद रफी, मुकेश और किशोर कुमार मौजूद रहते थे, सबसे आखिर में तलत महमूद को गाने के लिए बुलाया जाता था। एक बार किशोर कुमार ने तलत महमूद के पास जाकर कहा था, 'मैं समझता हूं मुझे गाना छोड़ देना चाहिए। उर्दू जुबान पर जो आपकी पकड़ है, उसका मुकाबला, मैं भला कैसे कर पाऊंगा?'

एक इंटरव्यू में तलत महमूद की बेटी सबीना तलत महमूद ने बताया था, 'एक बार मैं शणमुखानंद हॉल में किशोर कुमार के एक कंसर्ट में जाना चाहती थी। जब मैंने ये बात अपने पिता को बताई तो न सिर्फ उन्होंने उस कंसर्ट का टिकट खरीदा, बल्कि मेरे साथ किशोर कुमार को सुनने खुद शणमुखानंद हॉल गए। बीच कंसर्ट में किसी ने उन्हें पहचान लिया और किशोर कुमार तक ये खबर पहुंच गई कि तलत महमूद अपनी बेटी के साथ हॉल में मौजूद हैं। किशोर ने फौरन मंच से घोषणा की कि हमारे बीच तलत साहब बैठे हुए हैं। उन्होंने उन्हें मंच पर बुलवाया और कहा कि 'तलत साहब आपकी जगह वहां नहीं, यहां है। आप मेरे साथ बैठिए।'

तलत महमूद की मन्ना डे से बहुत नजदीकी दोस्ती थी। मन्ना डे अपनी आत्मकथा 'मेमोरीज कम अलाइव' में लिखते हैं, 'एक बार मदन मोहन ने बंबई आई मलिका-ए-गजल बेगम अख़्तर के सम्मान में रात्रि भोज दिया जिसमें बंबई की हर बड़ी संगीत हस्ती को बुलाया गया। जैसी कि उम्मीद थी भोज से पहले संगीत की एक महफिल हुई और सबसे पहले तलत महमूद से माइक के सामने आने के लिए कहा गया। जैसे ही उनकी पहली गजल खत्म हुई, इतनी तालियां बजीं कि मेरे और मोहम्मद रफी के बीचोबीच बैठे हुए किशोर कुमार ने हम दोनों से फुसफुसा कर कहा, चलिए हम दोनों चुपके से भाग चलें। तलत के फैलाए जादू के बाद अब हम लोगों को और कौन सुनेगा?'

(तलत महमूद के साथ मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश सहित अन्य)

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