दिलकश आवाज की मलिका #वाणीजयराम मशहूर प्लेबैक सिंगरों में शुमार हैं। वह सभी भाषाओं के गीत गायन में पारंगत हैं। सन् 1970 के दशक में अपना करियर शुरू करने वाली वाणी चार दशकों से मनोरंजन-जगत को अपनी मखमली आवाज से नवाज रही हैं। नई पीढ़ी भले ही उन्हें कम जानती है, मगर उनका दामन उपलब्धियों से भरा है।तमिलनाडु के वेल्लोर में 30 नवंबर, 1945 को जन्मीं वाणी जयराम ने भारतीय सिनेमा में अपनी आवाज का ऐसा जादू चलाया, जो आज भी सभी के दिलों में गूंज रहा है। सन् 1970 के दशक के गाने आज भी किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं हैं। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के गीतों को अपनी मधुर आवाज दी है। फिल्म 'गुड्डी' में जया भादुड़ी (बच्चन) पर फिल्माया गया गीत 'बोले रे पपीहरा' ने उन्हें रातोंरात शोहरत दिलाई। यह गीत सुनकर कोई भी भ्रम में पड़ सकता है और एक झटके से कह सकता है, 'यह लता मंगेशकर की आवाज है।'
भारतीय फिल्मी गायक वर्ग में उन्हें आधुनिक मीरा के रूप में जाना जाता है। साल 1979 की बात है. जाने माने शायर निर्माता निर्देशक गुलजार साहब एक फिल्म बना रहे थे. फिल्म का नाम था-मीरा. जो भक्तिमयी मीरा के जीवन के पहलुओं पर आधारित थी। मीराबाई ने अपनी सुख-संपंन्नता छोड़कर संत का रास्ता थामा था। गुलजार चाहते थे कि इस फिल्म के जरिए समाज में महिलाओं की स्थिति को दिखाया जाए जिसे अपनी आजादी और स्वाभिमान के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है। 1974 में ‘दोस्त’ और 1977 में ‘ईमान धरम’ जैसी फिल्में बना चुके जेएन मनचंदा इस फिल्म को प्रोडृयूस करने के लिए तैयार हो गए, अब गुलजार को इस फिल्म के संगीत के लिए एक ऐसे कलाकार की जरूरत थी जो मीरा के लिखे भजनों को जान डाल दे। आखिरकार उन्होंने फिल्म ‘मीरा’ के लिए विश्वविख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर को संगीत निर्देशन के लिए तैयार किया। मीरा फिल्म के भजन की रागदारी सुनने लायक है हालांकि इसमें आलाप किसी और का है लेकिन आवाज वाणी जयराम जी की रही। इस भजन को हेमा मालिनी पर फिल्माया गया था और राग था-तोड़ी। इस भजन में पंडित रविशंकर ने सारंगी, बांसुरी और सितार का अद्भुत संयोजन किया था. इस फिल्म के संगीत का एक और पक्ष बड़ा ही रोचक था। दरअसल फिल्म में मीरा के कुल 12-13 भजनों का इस्तेमाल किया गया था। मीरा में उनके भजन ऐरी मैं तो प्रेम दीवानी को फिल्मफेयर द्वारा श्रेष्ठ गायिका के अवाॅर्ड से नवाजा गया।
हिन्दी तमिल कन्नड़ और अन्य फिल्मों के गानों में अपनी खूबसूरत आवाज में लाखों दिलों की जीतने वाली मशहूर गायिका वाणी जयराम को संगीत के सफर में इस मुकाम तक पहुचाने में उनके पति टीएस जयरमण का बेहद खास योगदान रहा है। इस बात को पार्श्वगायिका हमेशा मानती आईं हैं। उन्होंने ने कई क्षेत्रीय भाषा में ढेर सारे गाने गाए हैं। वाणी जयराम को बतौर हिंदी गायिका पहली बार मौका साल 1971 में और इसी साल उनका फिल्म गुड्डी में गाया बोले रे पपीहरा पपीहरा ने धूम मचा दी। इसके बाद तो बाॅलीवुड की कई फिल्मों में वाणी जी की आवाज सुनने को मिली।
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