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Tuesday, November 30, 2021

के सी डे लागा गठरी में चोर

तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर जाग जरा ...
बाबा मन की आंखे खोल ...

इन गीतों को भला कौन भूल सकता है। इसे गाया था कृष्ण चंद्र डे ने जिन्हें हम 'के. सी. डे' के नाम से जानते हैं। वे एक बंगाली व हिंदी संगीतकार, संगीत निर्देशक, अभिनेता एवं संगीत शिक्षक थे। और मन्ना डे उनके भतीजे थे। आज उनकी पुण्यतिथि (28 नवंबर 1962) पे उन्हें श्रद्धासुमन ~

इनका जन्म कलकत्ता में 24 अगस्त 1893 को हुआ था। वे सचिन देव बर्मन के पहले संगीत शिक्षक एवं गुरु थे। 1906 में 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी आँखों की रोशनी खो दी और पूर्ण रूप से अन्धे हो गए। उन्होंने कई थिएटरओं के लिए काम किया और अन्त में कलकत्ता के न्यू थिएटरर्स के लिए काम किया। उन्हें उनके कीर्तनों के लिए जाना जाता है। उन्हें कलकत्ता के कई रईस परिवार गाने के लिए पैसे दिया करते थे। उन्होंने ज्यादातर सोवाबाजार की राजबाड़ी के जलसे, बीडन गली के मित्रा हाउस, आदि के लिए गाया। उन्होंने करीब 600 गाने रिकाॅर्ड किए जिनमें बंगाली, हिंदी, उर्दू, गुजराती गाने और 8 नातें (मुसलमान भक्ति गीत) शामिल हैं।

उन्होंने 1932 से 1946 तक फिल्मों के लिए संगीत दिया एवं गाया। उसी समय उन्होंने फिल्मों में अभिनय भी किया। 1942 में वे बम्बई चले गए। 1946 में जब उनके संगीत एवं गायन दोनों की गुणवत्ता में कमी होने लगी, उन्होंने फिल्में छोड़ दीं। उनकी मृत्यु कलकत्ता में 28 नवम्बर 1962 को हो गई।

उनकी कुछ चुनिंदा फिल्में जिनसे वो बतौर अभिनेता, गायक व संगीतकार जुड़े थे।

1932 चंडीदास
1933 मीरा, सावित्री, पूरन भगत, नल दमयंती
1934 शहर का जादू, चंद्रगुप्त
1935 इंकलाब, धूप छाँव, देवदास, भाग्यचक्र
1936 पुजारिन माया, मंजिल, ग्रहदाह, सुनहरा संसार, 
1937 विद्यापति, मिलाप
1938 धरतीमाता
1939 सपेरे, चाणक्य
1941 शकुंतला
1942 तमन्ना
1944 इंसान
1948 पुराबी, दृष्टिदान, अनिर्बान
1952 प्रहलाद
1954 भगवान श्रीकृष्ण चैतन्य

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